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बाबा कोई भी हो , आज इन्सान पैसे कमाने के तरीके खोजता है जिससे उसकी जिन्दगी ऐशो आराम से गुजर सके. और अगर बाबा ने ऐसा किया तो क्या गलत है . उनकी जिन्दगी है उन्होंने अपना ये तरीका अपनाया . जिन लोगो ने पैसा लगाया उन्होंने भी तो किसी लालच में ही लगाया किसी ने पैसे कमाने की लिए किसी ने कष्टों से मुक्ति के लिए , अब आपका का निर्णय सही नहीं रहा तो आप दोषी है.
बिना जाचे परखे अगर आप अपनी पूंजी किसी में भी लगाते है तो आप का दोष है .वैसे IPL क्रिकेट में भी आप के साथ क्या हो रहा है. आप हजारो की संख्या में में स्तादियम में जाते है /लाखो की संख्या में घर बैठे टीवी पर मैच देखते है और जो कमाई इस से लोग कर रहे है वह क्या निर्मल बाबा की कमाई से कम है और अगर आप ४ घटे तक मैच देख भी लेते है तो क्या हासिल कर लेते है. इसलिए बाबा को दोष देना छोडिये. अपने अन्दर झांक कर देखिये अपने लालच पर काबू पाइए , ऐसे बाबा एक नहीं है गली गली में है , आप को लुटने को तैयार है और आप लुटने को तैयार बैठे है.
एक आयर ब्बत जो मई हमेशा अपने मित्रो से कहता रहता हू इस जो की शायद कबीर के इस दोहे से सम्बह्धि है
“गुरु गोविंद दोऊ खडे, किसको लागुं पाय ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दिया बताय ॥”
ये मुझे नहीं मालूम कबीर ने किस सन्धर्ब में कहा था . पर आज के युग में ये दोहा निर्मल बाबा जैसे सैकड़ो ठुग इस्तेमाल कर रहे है. . ये बाबा लोग इस दोहे को अपने मार्केटिंग की अहम् हिस्सा बना लिया है , और आज के बाजारीकरण में ये उसका भरपूर फायदा उठा रहे है , मुझे ये समझ में नहीं आता कि आपको भगवान को पाना है है तो इन दलालों कि क्या जरूरत है , पर आप है कि भगवान को भी इस भ्रष्ट माहोल में सरकारी अफसर बना दिया है जिस तक आप दलाल के बिना पहुच ही नहीं सकते.
स्वयं सच्चे दिल से पार्थना कीजिये प्रयास कीजिये विराट आप को मिल जायेगा बिना इन दलालों के, और आप आसानी से इनकी लूट से बच सकते है
मेरा दावा है की आप को तब तक कोई लूट नहीं सकता जब तक की लुटने के लिए तैयार नहीं है
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